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रविवार, जुलाई 25, 2010

इनहेलर के ट्रायल से हुआ मोतियाबिंद !

दमे की तकलीफ लेकर 2008 में एमवायएच आया था मरीज
कुछ ही दिन में दूसरी बीमारी ने जकड़ा

एक ऐसा मरीज सामने आया है जिस पर एमवायएच में ड्रग ट्रायल (ऐसी दवा से उपचार जो बाजार में नहीं मिलती) हुआ। मरीज दमे का रोगी था और उपचार के दौरान उस पर डॉक्टरों ने इनहेलर का प्रयोग किया। इसकी वजह से उसे मोतियाबिंद हो गया। मोतियाबिंद का उपचार भी एमवायएच के नेत्ररोग विभाग में ही हुआ।

मरीज को नुकसान होने की आशंका के चलते उसका नाम पता प्रकाशित नहीं किया जा रहा है। दस्तावेज बताते हैं कि दमा की शिकायत पर 2008 में जब मरीज एमवाय अस्पताल पहुंचा तो मेडिसीन विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक वाजपेयी ने उसे फार्मेटेरोल और मोमेटासोन दवा से बना इनहेलर दिया। साथ ही कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाए। इनहेलर के प्रयोग के साथ ही उसे नेत्र रोग विभाग भी भेजा गया, जहां उसकी आंखों की जांच नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पा वर्मा ने की। उपचार शुरू होने के बाद उसे चेस्ट सेंटर शिफ्ट कर दिया गया। बाद में जब भी वह अस्पताल आता, जूनियर डॉक्टर मोटर साइकिल पर बैठाकर उसे एमवायएच से चेस्ट सेंटर ले जाया जाते। कुछ दिन बाद मरीज को मोतियाबिंद हो गया। कारण पूछा तो बताया गया उम्र बढऩे से ऐसा हो जाता है।

डॉक्टरों को मिले 27.54 लाख
सरकारी रिकॉर्ड बताता है कि इनहेलर के इस ट्रायल के बदले प्लो रिसर्च इंस्टीट्यूट ने डॉ. अशोक वाजपेयी और डॉ. संजय अवासिया के खाते में 27.54 लाख रुपए जमा कराए। इसका कुछ हिस्सा दूसरे डॉक्टरों को भी मिला। ट्रायल करीब दो दर्जन मरीजों पर किया गया। वर्ष 07-08 में 1.70 लाख, 08-09 में 11.08 लाख और 09-10 में 11.76 लाख का भुगतान डॉक्टरों को हुआ।


हां, साइड इफेक्ट होते थे
'डॉ. अशोक वाजपेयी के मार्गदर्शन में इनेहलर का ट्रायल किया था। इनहेलर से आंख संबंधी साइड इफेक्ट होते थे, इसीलिए मरीजों को नेत्र रोग विभाग भेजा जाता था। वहां की एचओडी डॉ. पुष्पा वर्मा ट्रायल में साथ थीं और मरीजों को जांचती थी। मरीज का नाम जाने बगैर यह नहीं बता सकता हूं कि मोतियाबिंद हुआ या नहीं।Ó
- डॉ. संजय अवासिया, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिसीन विभाग


डॉ. पुष्पा वर्मा की पोल खुली
डॉ. संजय अवासिया के बयान से नेत्र रोग विभाग की एचओडी डॉ. पुष्पा वर्मा की पोल भी खुल गई है। उन्होंने हाल ही में सरकार को जानकारी भेजी है कि वे किसी ट्रायल में शामिल नहीं रही।

रतलाम के डॉक्टर ने पूछा सवाल
एमवायएच के सूत्र बताते हैं इस ड्रग ट्रायल के संबंध में रतलाम के एक डॉक्टर ने सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी, जो उसे नहीं दी गई। डॉक्टर ने इसके लिए चार रिमाइंडर भी भेजे, परंतु बात नहीं बनी। बाद में डॉक्टर ने क्या कार्रवाई की, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। 

News in Patrika on 21th July 2010

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