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बुधवार, जुलाई 28, 2010

एमसीआई को थी ट्रायल घपले की भनक


- देशभर के मेडिकल कॉलेजों को भेजे थे नोटिस
- सात माह बाद भी किसी अफसर ने नहीं दिया ध्यान

 
अस्पताल में आने वाले रोगियों पर दवा आजमाईश के घपले की मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को भनक लग चुकी थी। इसी कारण सात माह पहले देश के सभी मेडिकल कॉलेजों को एक पत्र लिखा गया था। पत्र में कहा था कि ट्रायल के जरिए आने वाली राशि को जनता के सामने रखा जाए और ऐसे ही ट्रायल किए जाएं जिनके परिणाम देश के लिए हितकर हों। अफसोस जनक यह है कि चिकित्सा शिक्षा की इस सर्वोच्च संस्था को एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर जैसे संस्थानों ने कोई तवज्जो नहीं दी। ï

एमसीआई सचिव रिटायर्ड कर्नल डॉ. एआरएन सेतलवाड़ ने 10 दिसंबर 2009 को सभी मेडिकल कॉलेजों को लिखा था कि ट्रायल से आर्थिक लाभ उठाने के लिए डॉक्टर मरीजों को निशाना बना रहे हैं, इसलिए इंडियन मेडिकल काउंसिल नियम 2000 में संशोधन आवश्यक हो गया है। इस संशोधन के बताए अनुसार ही अब कॉलेजों के डॉक्टरों को बरताव करना अनिवार्य है।

'मेरे पास इस तरह के निर्देश आए थे और इसकी जानकारी सभी विभागाध्यक्षों को दे दी गई थी। अब उन्होंने इसका पालन नहीं किया तो कार्रवाई की जाएगी।Ó
- डॉ. एमके सारस्वत, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर

छह बिंदु जिनका उल्लंघन हुआ

एक-
कोई भी डॉक्टर किसी दवा कंपनी से कोई उपहार नहीं लेगा।
दो-
कोई भी डॉक्टर या उसके परिवार का सदस्य किसी दवा कंपनी के खर्चे से यात्रा नहीं करेगा।
तीन-
ट्रायल की स्थिति में कोई भी डॉक्टर पारदर्शी तरीके से ही कंपनी से रुपए लेगा।
चार-
ट्रायल शुरू करने के पहले ही जनता को विज्ञापन जैसे माध्यम से राशि की जानकारी देना होगी।
पांच-
जो मरीज स्वेच्छा से ट्रायल में शामिल हों, उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा का इंतजाम करना होगा।
छह-
दवा कंपनी से किए गए समझौते में ट्रायल के परिणाम को प्रकाशित करने का अधिकार लेना।


डीजीपी को भी भेजी शिकायत
लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के बाद ड्रग ट्रायल करने वाले मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस महानिदेशक के पास भी शिकायत हुई है। शिकायतकर्ता राजेंद्र के. गुप्ता ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. एमके सारस्वत, एमवायएच अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव, एथिकल कमेटी अध्यक्ष डॉ. केडी भार्गव के साथ ही करीब चालीस डॉक्टरों और कमेटी सदस्यों के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और गैर इरादतन हत्या जैसे आरोप दर्ज करने की मांग की है।

भोपाल ईओडब्ल्यू करेगा जांच
स्वास्थ्य समर्पण सेवा समिति संगठन द्वारा की गई शिकायत पर भोपाल पदस्थ असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल प्रियंका मिश्रा को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने इसकी पड़ताल भी शुरू कर दी है। पहले माना जा रहा था कि जांच ईओडब्ल्यू के इंदौर दफ्तर से शुरू होगी। शिकायत में डॉ. हेमंत जैन, डॉ. अपूर्व पुराणिक, डॉ. अनिल भराणी, डॉ. अशोक वाजपेयी, डॉ. सलिल भार्गव, डॉ. पुष्पा वर्मा और डॉ. वीएस पाल को आरोपी बनाया गया है।





आजाद ने मांगे इंदौर ड्रग ट्रायल के तथ्य
- 'पत्रिकाÓ की खबरों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लिया संज्ञान
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से भी की चर्चा





केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्री गुलाम नबी आजाद ने इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में मरीजों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ïïविकसित दवाओं का धोखे से परीक्षण किए जाने को लेकर 'पत्रिकाÓ में प्रकाशित खबरों को गंभीरता से लिया है। इस संबंध में उन्होंने मंत्रालय से सभी जरूरी तथ्य मांगे हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है।

अधिकारी ने बतायाï इंदौर के एमवाय अस्पताल, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय और चेस्ट सेंटर में पिछले कुछ साल से मरीजों पर दवाओं का धोखे से परीक्षण किए जाने की जानकारी मिली है, जिसे आजाद ने गंभीरता से लिया है। आजाद ने इस संबंध में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. वीएम कटोच से भी चर्चा की। आईसीएमआर मापदंडों के आधार पर ही दवाइयों के क्लिनिकल परीक्षण होते हैं।  


News in PATRIKA on 28th July 2010

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