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गुरुवार, जुलाई 29, 2010

ड्रग ट्रायल में जा चुकी एक जान



 जबलपुर में कैंसर मरीज की हुई थी मौत
 भोपाल, ग्वालियर में भी अनियमितताएं


बहुराष्ट्रीय कंपनियों की विकसित दवाओं का धोखे से परीक्षण (ड्रग ट्रायल) करने के दौरान प्रदेश में एक महिला मरीज की जान जा चुकी है। जबलपुर के कैंसर अस्पताल में इस मरीज का उपचार चल रहा था। उधर, इंदौर के बाद भोपाल और ग्वालियर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में भी ड्रग ट्रायल की अनियमितताएं सामने आई हैं।

जबलपुर में अगस्त 2008 में कैंसर रोगियों पर ड्रग ट्रायल शुरू  हुआ था। रेडियोथेरेपी की प्रोफेसर डॉ. पुष्पा किरार और डॉ. अमित जोतवानी ने पेट के कैंसर (कार्टिनोमा स्टमक) के चार रोगियों पर दवा का प्रयोग शुरू किया था। चूंकि यह ट्रायल प्लेसिबो (इलाज के बीच में दवा बंद करके दूसरे मरीजों से तुलना करना) था, इसलिए एक महिला रोगी पर सारी दवाइयां बंद कर दी गईं। इसी दौरान उसकी मौत हुई।

प्लेसिबो ट्रायल अनैतिक
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक मरीज को उपचार के बीच में ऐसी दवा देना जिसमें दवा के बजाए ग्लूकोज या स्टार्च हो (प्लेसिबो) अनैतिक कार्य है। इस संबंध में चिकित्सा जगत की विश्व प्रसिद्ध हेलेंस्की घोषणा को भी केंद्र सरकार ने मानने से इंकार किया है।


'वह बहुत गंभीर थीÓ

 क्या आपने कोई ट्रायल किया है?
 हां, 2008 में शुरू किया था, लेकिन चार मरीजों के बाद ही बंद कर दिया।

बंद क्यों कर दिया?
ïकॉलेज की मान्यता और हमारी डिग्री के कारण कंपनी ने इंकार कर दिया था।

सूचना के अधिकार में आपने जानकारी दी है कि चार में से एक की मौत हो गई?
ïहां, मौत हुई थी। वह महिला बहुत गंभीर अवस्था में थी। चूंकि ट्रायल प्लेसिबो था, इसलिए कुछ मरीजों को दवा नहीं दी जाती है। उसे भी नहीं दी थी।

मौत के कारण ही ट्रायल बंद तो नहीं हुआ?
हमारे यहां इंदौर जैसा मामला नहीं है। मैं खुद भी ट्रायल करना नहीं चाहती थी, इसलिए बंद कर दिया।
(डॉ. पुष्पा किरार से सीधी बात)


भोपाल का हाल
ईसी अहमदाबाद में, ट्रायल भोपाल में

गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के सर्जरी एचओडी डॉ. एमसी सोनगरा और डॉ. नितिन वर्मा ने 2008 में मूत्र रोग से पीडि़त 40 लोगों पर कैडिला कंपनी की दवा का प्रयोग किया। इसके लिए उन्होंने अहमदाबाद की एक निजी एथिकल कमेटी (ईसी) से मंजूरी ली। आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक यदि सरकारी कॉलेज में एथिकल कमेटी मौजूद हो, तो बाहर की किसी कमेटी से अनुमति नहीं ली जा सकती है।


ग्वालियर में बड़ा कारोबार
3500 लोगों पर थोपा ट्रायल, कमेटी भी अधूरी 

वर्ष 2005 में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में किए गए संशोधन के मुताबिक ट्रायल को मंजूरी देने वाली एथिकल कमेटी में एक आम आदमी समेत पांच बाहरी व्यक्ति होना आवश्यक है। ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज में बनी कमेटी में दो लोग बाहर हैं और इनमें भी आम आदमी नहीं है। यहां न्यूरो सर्जरी के डॉ. आयंगर, स्त्री रोग के डॉ. वी. अग्रवाल, मेडिसिन के डॉ. नवनीत अग्रवाल, धर्मेंद्र तिवारी, चर्मरोग के डॉ. पीके सारस्वत और आर्थोपेडिक्स के डॉ. सिकरवार ने दस कंपनियों के ट्रायल किए गए। इसमें करीब 3500 रोगियों को चुना गया।



ईओडब्ल्यू में बयान शुरू
 ड्रग ट्रायल मामले में तीन सप्ताह में पूरी होगी प्रारंभिक जांच

मरीजों पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की विकसित दवाओं का धोखे से परीक्षण करने (ड्रग ट्रायल) के मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने भोपाल में बुधवार से बयान लेना शुरू कर दिया है। ब्यूरो ने सबसे पहले शिकायतकर्ता से वे दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनके आधार पर शिकायत की गई। 

स्वास्थ्य समर्पण सेवा समिति नाम संगठन ने ईओडब्ल्यू में शिकायत की है कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के सात डॉक्टरों ने बहुराष्टï्रीय कंपनियों से सांठगांठ करके ड्रग ट्रायल शुरू किया। इसके एवज में उन्हें अकूत संपत्ति हासिल की। ईओडब्ल्यू आईजी अजय शर्मा ने बताया जांच का दायित्व असिस्टेंट आईजी प्रियंका शर्मा को सौंपा है। उन्होंने शिकायतकर्ता डॉ. आनंद राजे के बयान दर्ज कर लिए हैं। करीब तीन सप्ताह में जांच का कार्य समाप्त कर लिया जाएगा। जिन डॉक्टरों पर आरोप हैं, उनसे भी पूछताछ की जाएगी।

ईओडब्ल्यू आईजी के मुताबिक एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनिल भराणी, प्रोफेसर डॉ. अपूर्व पुराणिक, एमवायएच अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव, पूर्व प्रोफेसर डॉ. अशोक वाजपेयी, नेत्र रोग एचओडी डॉ. पुष्पा वर्मा, शिशु रोग प्रोफेसर डॉ. हेमंत जैन और एमवायएच सहायक अधीक्षक डॉ. वीएस पाल के खिलाफ शिकायत मिली है।


दोषियों पर होगी कार्रवाई : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भोपाल में मीडियाकर्मियों से चर्चा में कहा ड्रग ट्रायल मामले में ईओडब्ल्यू में शिकायत हुई है और वहां जांच भी शुरू हो गई है। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 


देर रात तक उलझा रहा एमजीएम

एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में हुए ड्रग ट्रायल मामले में संभवत: गुरुवार को विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया जाएगा। इसकी तैयारी में रात करीब 9.30 बजे तक कॉलेज में कार्य जारी थी। कॉलेज डीन डॉ. एमके सारस्वत के साथ ही कुछ प्रोफेसर और प्रशासनिक अधिकारी जुटे थे, ताकि भोपाल मुख्यालय से पूछे गए हर सवाल का 'माकूलÓ जवाब दे सकें। उधर, भोपाल में संचालक चिकित्सा शिक्षा और प्रमुख सचिव में भी देर रात तक इस मसले पर कार्य चलने की जानकारी मिली है।

News i n PATRIKA on 29th July 2010

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