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शनिवार, जुलाई 31, 2010

ड्रग ट्रायल पर कानूनी अंकुश

Mahendra Hardia
ड्रग ट्रायल के लिए नियम व दिशा-निर्देश बनाने के वास्ते प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी। इसकी सिफारिश आने के बाद अगर जरूरी होगा तो विधानसभा में विधेयक लाकर कानून बनाने पर सरकार विचार करेगी।
महेंद्र हार्डिया, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री

चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री हार्डिया ने की विधानसभा में घोषणा
नियम और दिशा-निर्देश बनाने के लिए बनाई कमेटी


बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विकसित दवाओं के रोगियों पर परीक्षण (ड्रग ट्रायल) को काबू करने के लिए राज्य सरकार ने नियम-कायदे बनाने की घोषणा की है। लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री महेंद्र हाॢडया ने शुक्रवार को विधानसभा में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद जरूरी हुआ तो कानून भी बनेगा। हार्डिया ने यह घोषणा कांग्रेस के अजय ङ्क्षसह और प्रताप ग्रेवाल व अन्य की ध्यानाकर्षण सूचना पर की। उन्होंने कहा, इंदौर मेडिकल कॉलेज में मरीजों पर ट्रायल नियम विरुद्ध मिला तो जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मरीजों की संख्या गलत
सरकार ने बताया सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 2365 पर ट्रायल हुआ। इसमें 1644 बच्चे थे। 'पत्रिकाÓ को प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज में ही 3500 रोगियों पर ट्रायल हो चुके हैं। वहां न्यूरो सर्जरी के डॉ. आयंगर, स्त्री रोग के डॉ. वी. अग्रवाल, मेडिसिन के डॉ. नवनीत अग्रवाल, धर्मेंद्र तिवारी, चर्मरोग के डॉ. पीके सारस्वत और आर्थोपेडिक्स के डॉ. सिकरवार ने दस कंपनियों के ट्रायल किए गए।

मंत्री भी हुए शिकार
मानसून सत्र के अंतिम दिन विस में ड्रग ट्रायल का मामला गूंजा। डेढ़ घंटे की चर्चा में इसे लेकर कई सवाल उठे। पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया,1957 में उनपर ड्रग ट्रायल हुआ। इससे उन्हें चेचक निकल आई। उन्होंने कहा, मैं प्रभावित हूं। तब नियम नहीं था और न बीमे की व्यवस्था।   

ये विधायक चर्चा में शामिल:
अजय सिंह, प्रताप ग्रेवाल, एनपी प्रजापति, प्रद्युम्न सिंह तोमर (कांगे्रस), पारस सकलेचा (निर्दलीय), यशपाल सिंह सिसोदिया और सुदर्शन गुप्ता (भाजपा)


एथिक्स कमेटी रखती है निगरानी :  हार्डिया
हार्डिया ने विधानसभा को बताया भारत के ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट-1940 और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों के अनुसार ड्रग टायल संचालित किए जाते हैं। प्रत्येक संस्था में इसकी अनुमति देने व उस पर निगरानी के लिए एक एथिक्स कमेटी गठित की जाती है। इसके संचालन के लिए प्रायोजित औषधि कंपनी, अन्वेषणकर्ता चिकित्सक एवं कुछ मामलों में संस्था के प्रमुख के माध्यम से अनुबंध होता है। इसकी जानकारी एथिक्स कमेटी के सदस्यों को दी जाती है।


विधानसभा में सरकार को विरोध का डोज

ड्रग ट्रायल विषय पर शुक्रवार को विधानसभा में रखे गए ध्यानाकर्षïण प्रस्ताव में विधायकों ने सरकार को जमकर ïघेरा। विधायकों ने कई सवालों के जरिए पूरे मामले में  स्पष्टीकरण मांगा। इस पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री महेंद्र हार्डिया ने जवाब दिए।

पारस सकलेचा: एथिक्स कमेटी ने कब-कब उन मरीजों का निरीक्षण किया है, जिन पर ड्रग ट्रायल हुआ? इनकी वर्तमान स्थिति क्या है, ट्रायल के बाद क्या हुई और घातक रोग होने के बाद उन्हें कितनी बीमा राशि दी गई?
हार्डिया: इंदौर में एथिक्स कमेटी गठित है, जिसके चेयर पर्सन प्रोफेसर केडी भार्गव हैं। आज तक किसी भी मरीज ने उनसे जाकर शिकायत नहीं की। यदि सकलेचा के पास कोई शिकायत है तो बता दें हम उसकी जांच करा लेंगे।

प्रद्युम्नसिंह तोमर: जितने मरीजों पर ड्रग ट्रायल किया गया, क्या उनकी सहमति ली गई। कितने डॉक्टर इसके चलते विदेश गए?
हार्डिया: चार डॉक्टरों को विदेश जाने की अनुमति दी गई।

यशपालसिंह सिसोदिया: क्या आगामी सत्र में विधेयक लाकर कानूनी रूप देकर ड्रग ट्रायल माफियाओं पर शिकंजा कसा जाएगा?
हार्डिया: मैं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा करता हूं।

अजय सिंह- ड्रग ट्रायल के लिए अनुमति कहां से मिली और कितने मरीजों पर ट्रायल किया गया? क्या उनका क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया में रजिस्ट्रेशन हुआ है? कितने मरीजों का बीमा कराया गया था इसमें से कितने को राशि मिली?
हार्डिया- जो कंपनियां ट्रायल कर रही हैं, उन्होंने अनुमति ली है। जहां तक शिकायतों का सवाल है तो सरकार के पास कोई शिकायत नहीं है। कोई मामला विधायक के पास हो तो जरूर बता दें।

अजय सिंह- आंध्रप्रदेश में ड्रग ट्रायल प्रतिबंधित है। सरकार को चाहिए कि मध्यप्रदेश में भी इसे प्रतिबंधित करे। मरीजों से अंग्रेजी के कागज पर अनुमति के दस्तखत करा लिए जाते हैं।
हार्डिया- अनुज्ञा पत्र हिंदी में है।

प्रताप ग्रेवाल- मैंने सूचना के अधिकार में सहमति पत्र लिए हैं। इसमें ड्रग ट्रायल संबंधी कोई जानकारी नहीं है। वास्तविकता यह है कि फार्म अंग्रेजी में है और करीब पांच से छह पेज का है। यह फार्म किसी पढ़े लिखे को भी समझ नहीं आ सकता।
हार्डिया- विधायक मुझे ये फार्म दें। मैं इसे दिखवा लूंगा। इसमें कोई अनियमितता हुई होगी तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।

ग्रेवाल- एथिक्स कमेटी के सदस्यों के नाम और उनके फोन नंबर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एक बोर्ड पर लिखे होने चाहिए, ताकि जिन मरीजों पर ड्रग ट्रायल हो रहा है, वे इन्हें अपनी समस्या बता सकें।
हार्डिया- ये सब सेंट्रल एक्ट से संचालित होता है। मैंने यह भी पता किया था कि क्या अन्य राज्यों में इस तरह का कोई कानून है। पता चला कि किसी भी राज्य में ड्रग ट्रायल संचालित करने का कोई कानून नहीं है।

News in PATRIKA on 31th July 2010

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