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रविवार, जुलाई 25, 2010

एमवायएच उपअधीक्षक भी ट्रायल में लिप्त

जानकारी छुपाने वालों में डॉ. वीएस पाल शामिल
मनोरोगियों पर आजमाई रामेलटियोन दवा


एमवायएच अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव के बाद उपअधीक्षक डॉ. वीएस पाल द्वारा भी ड्रग ट्रायल की जानकारी छुपाने की बात सामने आई है। उन्होंने सरकार को ट्रायल नहीं करने की जानकारी दी है, जबकि क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री इंडिया (सीटीआरआई) रिकॉर्ड के मुताबिक 2009 में उन्होंने मनोरोगियों पर ट्रायल किया है। उन्होंने खुद को एमजीएम मेडिकल कॉलेज का प्रोफेसर बताकर ट्रायल अलंकार पाइंट गीता भवन चौराहा स्थित प्रायवेट क्लिनिक पर की।

सीटीआरआई की 29 जून 2010 को अपडेट की गई जानकारी बताती है 9 दिसंबर 2009 को गुरगांव के प्रो. कंचन त्यागी के अधीन देश के 16 डॉक्टरों ने रेनबैक्सी कंपनी के लिए रामेलटियोन दवा का ट्रायल शुरू किया। इसमें डॉ. पाल के साथ ही मनोरोग कंसलटेंट डॉ. अभय पालीवाल भी उनके साथ रहे। डॉ. पाल ने ट्रायल के लिए पूणे स्थित एथिकल कमेटी से ट्रायल की अनुमति ली थी। 

इन्होंने भी छुपाई जानकारी
नेत्ररोग एचओडी डॉ. पुष्पा वर्मा, ïमनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. रामगुलाम राजदान, कंसलटेंट डॉ. मनीष पालीवाल, कंसलटेंट डॉ. उज्जवल सरदेसाई और मेडिसीन के डॉ. अतुल शेंडे ने जानकारी छुपाई है।


'बहुत पुराना मामला हैÓ

क्या आपने किसी दवा का ट्रायल किया है ?
- नहीं तो।
सीटीआरआई रिकॉर्ड बताता है आपने रामेलटियोन दवा इस्तेमाल की?
- पुरानी बात होगी, क्योंकि यह दवा तो अब बाजार में आ चुकी है।
आपने किस एथिकल कमेटी से इजाजत ली थी?
- वह बाहर की थी, लेकिन मैंने ट्रायल नहीं किया है।
सरकारी रिकॉर्ड में तो आपका नाम है?
वह हो सकता है। कई बार चर्चा चलती है, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाता।
(डॉ. वीएस पाल से चर्चा) 



मेडिकल कॉलेज डीन की भोपाल से खिंचाई
- ड्रग ट्रायल के गोरखधंधों मामले में सरकार ने लताड़ा


विदेशी दवा कंपनियों से मोटी रकम कमाने के लिए अस्पताल में आने वाले रोगियों पर दवा आजमाइश (ड्रग ट्रायल) करने वाले डॉक्टरों के कारण बदनाम हुए एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन को सरकार ने जमकर लताड़ लगाई है। सरकाार ने उनसे ड्रग ट्रायल से जुड़े सभी मुद्दों पर विस्तृत जवाब मांगा है। यह भी पूछा है कि उनकी नाक के नीचे ट्रायल का धंधा चलता रहा, फिर भी उन्हें इसकी जानकारी क्यों नहीं मिली?

'पत्रिकाÓ द्वारा ड्रग ट्रायल के गोरखधंधे के खुलासे से मामले में सरकार की अज्ञानता जाहिर हुई है। कॉलेज से जुड़े एमवायएच, चाचा नेहरू अस्पताल और चेस्ट सेंटर में मरीजों पर दवा आजमाइश होती है। इसकी सरकार को कानों-कान खबर नहीं है। सूत्रों के मुताबिक डीन डॉ. एमके सारस्तव से सरकार बेहद नाराज हैं, क्योंकि उनकी जानकारी के बगैर कई डॉक्टर ट्रायल कर रहे हैं। इससे मरीजों के साथ ही कॉलेज की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। सूत्रों का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आईएस दाणी पूरे घटनाक्रम से बेहद खफा हैं।

एथिकल कमेटी भंग करने की तैयारी
सूत्रों का कहना है एमजीएम मेडिकल कॉलेज की एथिकल कमेटी को भंग करने की तैयारी है। इस कमेटी के सहयोग के कारण ही डॉक्टरों ने ड्रग ट्रायल के धंधे का विस्तार किया है।

वह बाबूगिरी तो यह क्या?
एथिकल कमेटी के सचिव डॉ. अनिल भराणी ने कॉलेज काउंसिल की एक बैठक में कहा था मैं किसी कमेटी में नहीं रहूंगा क्योंकि मैं बाबूगिरी नहीं करना चाहता। यही वजह है कि उन्हें किसी कमेटी में नहीं रखा जाता है। वे कोई जिम्मेदारी भी नहीं लेना चाहते हैं। ड्रग ट्रायल के खुलासे के बाद कॉलेज एक प्रोफेसर ने बताया उन्हें जब बाबूगिरी पसंद नहीं है, तो एथिकल कमेटी की सदस्यता छोड़ क्यों नहीं देते। 

फिर आया ड्रग ट्रायल का सवाल
विधानसभा में इस बार मानो ड्रग ट्रायल से जुड़े सवालों की बरसात हो रही है। मंगलवार को फिर से एक सवाल कॉलेज पहुंचा। इसमें भी कमोबेश वही जानकारी मांगी गई जो पूर्व में मांगी जा चुकी है। पांच वर्षाें में हुई ट्रायल, लिप्त डॉक्टर, सरकार की अनुमति , विदेश यात्रा के साथ ही रुपए का हिसाब भी इसमें पूछा गया है। इसका जवाब तैयार करने के लिए शाम सात बजे तक मशक्कत जारी रही। 


इंदौर का मुद्दा उठाएंगे बाहरी विधायक
- ड्रग ट्रायल में हमारे जनप्रतिनिधियों की बड़ी चूक
- रतलाम, सरदारपुर व ग्वालियर के विधायकों ने खोला मोर्चा



इंदौर के लिए इंदौर के जनप्रतिनिधि कितने सजग और जागरूक है, इसकी कलाई ड्रग ट्रायल के मौजूदा मुद्दे से खुल रही है। जिले में नौ विधायक हैं और इन्हें इस बात से कोई सरोकार ही नहीं कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवायएच में आने वाले मरीजों की सेहत के साथ डॉक्टर खिलवाड़ कर रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय व महेंद्र हार्डिया को मंत्री होने के नाते छोड़ भी दिया जाए तो शेष सात विधायक इस मसले पर क्या कर रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है।

हालांकि, इंदौर को फिक्र करने की जरूरत नहीं है। प्रदेश के तीन दूसरे विधायक इंदौर की चिंता कर रहे हैं। रतलाम के पारस सकलेचा, सरदारपुर के प्रताप ग्रेवाल और ग्वालियर के प्रद्धुम्नसिंह तोमर ऐसे विधायक हैं, जिन्हें राज्यभर के मरीजों की फिक्र है। सकलेचा भाजपा से ही हैं, जबकि ग्रेवाल व तोमर कांग्रेस से। तीनों ने ही ड्रग ट्रायल से जुड़े मुद्दे को विधानसभा में प्रश्न के जरिए उठा दिया है।

मंत्री को जानकारी ही नहीं
इंदौर पांच के विधायक महेंद्र हार्डिया स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं और उन्हें यह पता ही नहीं है कि ड्रग ट्रायल क्या होता है। उन्होंने हाल ही में कहा है कि इसकी जानकारी मैं उन्हीं डॉक्टरों से लूंगा, जो ट्रायल कर रहे हैं।

इंदौर के विधायक
सुदर्शन गुप्ता, रमेश मेंदोला, अश्विन जोशी, मालीन गौड़, जीतू जिराती, सत्यनारायण पटेल और तुलसी सिलावट।


 

News in Patrika on 21th July 2010

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