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रविवार, जुलाई 25, 2010

500 पेज में समाया ड्रग ट्रायल का हिसाब

ड्रग ट्रायल का गोरखधंधा

एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में पांच वर्ष से जारी ड्रग ट्रायल की पूरी जानकारी 500 से अधिक पन्नों में पूरी हुई। शनिवार को यह जानकारी दो कर्मचारियों के हाथ भोपाल भेजी गई, जिसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा।

बरसों से एमजीएम मेडिकल कॉलेज में ड्रग ट्रायल हो रहा है और सरकार को इसकी रत्तीभर भी जानकारी नहीं थी। इस बार सरदारपुर के विधायक प्रताप ग्रेवाल ने ड्रग ट्रायल का सवाल पूछा तो मामले में लिप्त सभी डॉक्टरों के कान खड़े हो गए। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने एक सप्ताह पहले जब इसका जवाब मंत्रालय को भेजा तो वहां से इंकार आ गया कि गोलमाल जवाब नहीं चाहिए, स्पष्ट और पारदर्शी जवाब भेजें।

इसी दौरान 'पत्रिकाÓ ने पूरे मामले का खुलासा किया कि किस तरह से डॉक्टर मरीजों पर चूहा की तरह प्रयोग कर रहे हैं। इसके एवज में विदेशी कंपनियों से उन्हें मोटी रकम भी मिल रही है। इससे सरकार सचेत हुई और मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. एमके सारस्वत को तगड़ी फटकार मिली। एक बार फिर से जानकारी तैयार की गई लेकिन इससे भी भोपाल संतुष्ट नहीं हुआ। आखिर में विस्तृत ब्यौरा भेजा गया है, जिसमें ïट्रायल और इसके हिसाब की जानकारी है।

कई तथ्य छुपाए
सूत्रों का कहना है कि अभी भी कॉलेज ने कई तथ्यों को छुपा लिया है। यह नहीं बताया गया है कि जिन मरीजों प्रयोग किए गए, उनकी वर्तमान हालत क्या है? क्या उन पर दवा प्रयोग से विपरीत प्रभाव पड़ा? क्या मरीजों को ट्रायल के खतरों की जानकारी दी गई? कुछ डॉक्टरों ने यह जानकारी भी छुपा ली है कि वे निजी अस्पतालों में जानकर ट्रायल करते हैं।

 


भोपाल करेगा डॉ. भार्गव की जांच
- इंदौर के प्रबंधन पर नहीं भरोसा

एमवाय अस्पताल अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव द्वारा ज्ञानपुष्प रिसर्च सेंटर में खड़ा किया गया करोड़ों का ड्रग ट्रायल के कारोबार की जांच भोपाल के अधिकारी करेंगे। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के लचर रवैय्ये को देखते हुए यह फैसला किया गया है।

'पत्रिकाÓ ने खुलासा किया था कि डॉ. भार्गव ने सरकार को अंधेरे में रखकर तीन वर्ष में ड्रग ट्रायल का बड़ा धंधा शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने धार कोठी स्थित अपने घर के पास ही ज्ञानपुष्प रिसर्च सेंटर खोला है। यहां वे दमा को रोगियों पर पांच अलग-अलग कंपनियों की दवाइयों के प्रयोग करते हैं और इसके एवज में उन्हें मोटी रकम मिलती है। भोपाल पदस्थ सूत्रों के मुताबिक डॉ. भार्गव की जांच के लिए सचिव स्तर के किसी अधिकारी को नियुक्त किया जा सकता है।

डॉ. भार्गव पर आरोप
- पूर्णकालिक अधीक्षक होने के नाते प्रायवेट प्रेक्टिस की अनुमति नहीं फिर भी कर रहे ड्रग ट्रायल।
- खुद लिप्त इसलिए एमवाय अस्पताल को भी खुले आम ट्रायल का केंद्र बनने दिया। 
- सरकार को भेजे संपंत्ति के ब्यौरे में ज्ञानपुष्प रिसर्च सेंटर का जिक्र नहीं किया।


अन्य डॉक्टर भी घेरे में
मनोरोग विभाग के डॉ. रामगुलाम राजदान, डॉ. अभय पालीवाल, डॉ. उज्जवल सरदेसाई और मेडिसीन के डॉ. अतुल शेंडे ने भी डॉ. भार्गव की तर्ज पर निजी अस्पतालों में जाकर ट्रायल के गोरखधंधे में व्यारे-न्यारे किए हैं। इन्हें भी सरकार शिकंजे में लेगी।


'मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद ही कार्रवाई होगी।Ó
- डॉ. एमके सारस्वत, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज

News in Patrika on 19th July 2010

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