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रविवार, अगस्त 01, 2010

निजी अस्पतालों में भी ड्रग ट्रायल का धोखा

ड्रग ट्रायल
कई अस्पतालों में धड़ल्ले से निशाना बन रहे मरीज
स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है कोई जानकारी











बहुराष्टरीय कंपनियों द्वारा विकसित दवा और टीकों का परीक्षण (ड्रग ट्रायल) केवल सरकारी एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में ही नहीं हो रहा है। कई निजी अस्पतालों और क्लिनिकों में भी यह काम जोरों पर है। ऐसा भी नहीं है कि किसी एक बीमारी के रोगियों पर ही ट्रायल चल रहे हैं। दिल के ऑपरेशन में लगने वाले स्टेंट से लेकर इनहेलर तक और डायबिटीज से लेकर कैंसर तक के रोगियों तक पर प्रयोग हो रहे हैं। 

भारत सरकार के क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री-इंडिया (सीटीआरआई) का रिकॉर्ड बताता है कि मप्र में सबसे अधिक ट्रायल इंदौर में किए जा रहे हैं। पिछले चार वर्ष (२००६-२००९) के आंकड़ों पर गौर करें तो मप्र में ८३ दवाओं के ट्रायल किए गए इनमें से ५६ ट्रायल इंदौर में हुए, जबकि २७ ट्रायल भोपाल सहित प्रदेश के अन्य शहरों में किए गए।

निजी अस्पतालों में हो रहे ड्रग ट्रायल के बारे में विभाग के पास कोई जानकरी उपलब्ध नहीं है। नियम देखकर इनके बारे में पड़ताल की जाएगी।
- डॉ. शरद पंडित, सीएमएचओ, इंदौर

ये हैं कुछ निजी डॉक्टर

1. डॉ. सुनील एम. जैन
अस्पताल- टोटल (डायबिटीज थॉयरॉइड हॉरमोन रिसर्च इंस्टीट्यूट)
कंपनी - बोईरिंगर इंगेल्हिम फार्मास्यूटिकल्स सहित कुछ अन्य कंपनियां
उत्पाद - बीआई १३५६ (५ एमजी) सहित कुछ अन्य उत्पाद
बीमारी - डायबिटीक मरीजों में ग्लायकेमिक

२. डॉ.गोविंद एन.मालपानी
अस्पताल-  सुयश
कंपनी - ल्यूपिन
उत्पाद - एलएलएल २०११, नेसल स्प्रे
बीमारी - माइग्रेन


3. डॉ.एके पटेल
अस्पताल-  चोईथराम हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर
कंपनी - केडिला फार्मास्यूटिकल्स
उत्पाद - पेल्सीटेक्सल, सिस्प्लेटिन (किमोथेरेपिक एजेंट)
बीमारी - स्मॉल सेल लंग केंसर 


4. डॉ. सुशील भाटिया
अस्पताल- चोईथराम हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर
कंपनी - केडिला फार्मास्यूटिकल्स
उत्पाद - मायकोबैक्टेरियम विथ डॉसिटेक्साल
बीमारी - प्रोस्टेट केंसर

5. डॉ.गिरीश के कवठेकर
 अस्पताल  - सीएचएल अपोलो अस्पताल
 कंपनी  - इन्फीनियम-कोर
 उत्पाद   - कोरोनरी स्टेंट
 बीमारी  - कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज के उपचार के लिए


6. डॉ.विनोद सोमानी
अस्पताल -  सीएचएल अपोलो 
कंपनी - इन्फीनियम-कोर
उत्पाद - कोरोनरी स्टेंट
बीमारी - कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज 


7. डॉ. शैलेंद्र त्रिवेदी
अस्पताल-  सीएचएल अपोलो 
कंपनी - इन्फीनियम-कोर
उत्पाद - कोरोनरी स्टेंट
बीमारी - कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज के उपचार के लिए


8. डॉ. नितीन मोदी
अस्पताल- सीएचएल अपोलो 
कंपनी - इन्फीनियम-कोर
उत्पाद - कोरोनरी स्टेंट
बीमारी - कोरोनरी आर्टरी ब्लॉकेज 


9. डॉ. बीएस ठाकुर
अस्पताल-  गे्रटर कैलाश
कंपनी - प्रॉक्टर एण्ड गैम्बल फार्मास्यूटिकल्स व जाइडस
उत्पाद - टेबलेट मेजालामाइन ८०० एमजी, एसाकोल ८००एमजी
बीमारी - अल्सरेटिव कोलाइटिस 


10. डॉ. अतुल शेंडे
अस्पताल - मानव ट्रेड सेंटर स्थित क्लिनिक
कंपनी - प्रॉक्टर एण्ड गैम्बल फार्मास्यूटिकल्स और जाइडस
उत्पाद - टेबलेट मेजालामाइन ८०० एमजी, एसाकोल ८००एमजी
बीमारी - अल्सरेटिव कोलाइटिस 

11. डॉ. प्रवर पासी
अस्पताल- ग्रेटर कैलाश 
कंपनी - बायोजेन आइडेक
उत्पाद - १२५ एमसीजी, बीआईआईबी ०१७
बीमारी - मल्टीपल सिरोसिस

( खबर शैलेष दीक्षित से साभार)

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आंध्रप्रदेश के कानून पर कमेटी की निगाह 
 प्रमुख सचिव के साथ डीएमई और डॉ. छपरवाल भी शामिल

बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विकसित दवा के परीक्षण (ड्रग ट्रायल) को प्रदेश में काबू करने के लिए नियमावली बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यी कमेटी की निगाह आंध्रप्रदेश के कानून पर है। वहां ड्रग ट्रायल को प्रतिबंधित किया गया है। कमेटी संभवत: एक माह में रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी।

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य मंत्री महेंद्र हार्डिया ने शुक्रवार को विधानसभा में कमेटी गठित करने की घोषणा की थी। शनिवार को 'पत्रिकाÓ से चर्चा में उन्होंने बताया चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव आईएस दाणी की अध्यक्षता में बनाई कमेटी में संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. वीके सैनी और एमसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. भरत छपरवाल सदस्य रहेंगे।

उधर, दाणी ने बताया फिलहाल ड्रग ट्रायल के संबंध में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट लागू किया गया है। अध्ययन करने के बाद ही स्पष्ट होगा कि राज्य सरकार इस बारे में क्या कर सकती है? दोनों अन्य सदस्यों के साथ शीघ्र ही बैठक की जाएगी। कोशिश रहेगी कि एक महीने में रिपोर्ट बनाकर दे दी जाए। डॉ. छपरवाल ने बताया फिलहाल मुझे कमेटी के सदस्य बनाए जाने की जानकारी नहीं मिली है। मौजूदा कानूनों और गाइडलाइन का अध्ययन करने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।



सीबीआई, एमसीआई को भी शिकायत
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में जांच शुरू होने के साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ड्रग ट्रायल की शिकायत सीबीआई और एमसीआई को भी पहुंच चुकी है। शिकायतकर्ता राजेंद्र के. गुप्ता ने बताया दोनों स्थानों पर शपथ पत्र के साथ शिकायत की गई है।

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