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शुक्रवार, अगस्त 13, 2010

सरकार ने छुपाई ड्रग ट्रायल की जानकारी

- विधायकों को नहीं मिला जवाब
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में किया वादा भी नहीं निभाया

बहुराष्टरीय कंपनियों द्वारा विकसित दवा और टीकों के मरीजों पर परीक्षण (ड्रग ट्रायल) की जानकारी सरकार द्वारा छुपाई जा रही है। यह आरोप दो विधायकों ने लगाया है। दोनों विधायकों ने ट्रायल के लिए विधानसभा में प्रश्नों के जवाब अब तक नहीं दिए गए हैं। इतना ही नहीं एक विधायक को वह जानकारी भी नहीं दी गई है जिसका वादा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान राज्य मंत्री ने विधानसभा में किया था।

सरदारपुर के विधायक प्रताप ग्रेवाल और रतलाम के विधायक पारस सकलेचा दोनों ने तारांकित प्रश्न के जरिए राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में चल रहे ट्रायल के धंधे की विस्तार से जानकारी मांगी थी। ग्रेवाल के प्रश्न का क्रमांक 540 था और चिकित्सा शिक्षा विभाग को इसका जवाब 23 जुलाई को देना था। उस दिन सदन में बताया गया कि विभाग जानकारी एकत्रित कर रहा है। सकलेचा के प्रश्न का क्रमांक 1369 था और इसका जवाब 30 जुलाई को आना था। उन्हें भी वही उत्तर दिया गया, जो ग्रेवाल को दिया था।

मेडिकल कॉलेजों से भेजा जा चुका जवाब
इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा और सागर सभी मेडिकल कॉलेजों ने अपना जवाब भेज दिया है। सभी कॉलेजों के प्रबंधन ने इसकी पुष्टि की है।

विधानसभा अध्यक्ष की बात भी नहीं मानी
30 जुलाई को विधानसभा में सात विधायकों ने ट्रायल पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा था। तब चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री महेंद्र हार्डिया ने सकलेचा से कहा था कि आपको मरीजों की सूची मय नाम पते के उपलब्ध करवाई जा रही है। तब विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने भी जोर देकर कहा था यह बेहद गंभीर मामला है, इसलिए ध्यान रखा जाए। मरीजों की सूची भी आज तक उपलब्ध नहीं हो सकी है।


'चूंकि यह गरीब और जरूरतमंद रोगियों की जिंदगी से जुड़ा सवाल है, इसलिए जवाब तत्काल देना चाहिए। विधानसभा सचिव को मैं पत्र लिख रहा हूं ताकि वे देख सकें कि जवाब कहां अटका है।Ó
- प्रताप ग्रेवाल, विधायक, सरदारपुर

' सवाल वे ही पूछे गए थे, जिनके जवाब चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध है। फिर भी क्यों नहीं दिए गए, यह समझ से परे है। विधानसभा सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव दोनों को पत्र भेज रहा हूं, ताकि व्यवस्था की पोल सामने आ सके।Ó
- पारस सकलेचा, विधायक, रतलाम

'जानकारी एकत्रित करने वाले प्रश्नों के जवाब अगले सत्र के पहले दिन तक सदन के पटल पर आ जाना चाहिए। विधानसभा में ऐसा एक नियम है। कई विभाग इसी का फायदा उठाते हैं। अभी मेरे पास दोनों विधायकों की ओर से कोई पूछताछ नहीं हुई है। दोनों प्रश्नों के नंबर मैंने नोट कर लिए हैं, देखता हूं विभाग ने क्या प्रगति की है।Ó
- डॉ. एके पयासी, प्रमुख सचिव, विधानसभा

 News in Patrika on 13th August 2010

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