बहुराष्टï्रीय कंपनियों द्वारा विकसित दवा के मरीजों पर प्रयोग (ड्रग ट्रायल) से राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 51 रोगियों पर साइड इफेक्ट हुए हैं। ये मरीज पिछले पांच वर्ष में कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में इलाज के लिए गए थे।
यह जानकारी विधानसभा से जारी एक दस्तावेज में उपलब्ध है। चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री महेंद्र हार्डिया ने विधानसभा में यह जानकारी दी थी। उन्होंने यह भी बताया था कि पांच वर्ष में 2365 रोगियों पर ट्रायल हुआ। इसमें 1644 बच्चे और 721 वयस्क हैं।
कुछ की मौत की आशंका
आशंका है कि जिन मरीजों पर दुष्प्रभाव हुआ है, उनमें से कुछ की मौत भी हुई होगी। वैसे भी, सूचना का अधिकार में प्राप्त एक दस्तावेज में जबलपुर के कैंसर अस्पताल में एक महिला रोगी की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इंदौर के चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमंत जैन ने भी मंजूर किया है कि ट्रायल के दौरान एक बच्चे की मौत हुई थी और इसकी जानकारी एथिकल कमेटी को दे दी गई थी।
सूची का वादा किया था, पर नहीं दी
रतलाम के विधायक पारस सकलेचा ने बताया 30 जुलाई को ट्रायल के मसले पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव विधानसभा में रखा था। बहस के आखिर में चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री ने वादा किया था कि सभी मरीजों की सूची दी जाएगी, किंतु अब तक यह प्राप्त नहीं हुई है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव आईएस दाणी से भी चर्चा की है।
पत्रिका: १९ अगस्त २०१०
आपने बहुत अच्छा विषय उठाया है .इस दिशा में लोगों को सचेत करना बहुत आवश्यक है .आपकी सफलता की कामना करती हूँ !
जवाब देंहटाएंइस नए और सुंदर से हिंदी चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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