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बुधवार, अगस्त 11, 2010

बताओ, आपके अस्पताल में मानवाधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा?

- ड्रग ट्रायल मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने एमवायएच को भेजा नोटिस

बहुराष्टरीय कंपनियों द्वारा विकसित दवा और टीकों का रोगियों पर परीक्षण (ड्रग ट्रायल) पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने सख्त रवैय्या अपना लिया है। आयोग ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल एमवायएच को नोटिस भेजकर पूछा है कि बताएं, ट्रायल के कारण आपके अस्पताल में आ रहे रोगियों के मानवाधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा? जवाब के लिए आयोग ने तीन सप्ताह की समय सीमा तय की है।

आयोग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आयोग के अध्यक्ष पूर्व जस्टिस डीएम धर्माधिकारी और दो अन्य सदस्यों ने 'पत्रिकाÓ अखबार में प्रकाशित खबरों के आधार पर एमवायएच अधीक्षक को 30 जुलाई को पत्र भेजा है। आयोग की खबरों की कटिंग स्वास्थ्य समर्पण सेवा समिति नामक एनजीओ द्वारा उपलब्ध हुई थी। ताज्जुब तो यह है कि एमवायएच अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव को यह नोटिस आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। वे कहते भी हैं मुझे इस तरह की कोई जानकारी नहीं है।



इन बिंदुओं पर मांगी है जानकारी
ट्रायल से मरीजों की सेहत पर क्या असर पड़ रहा है?
मरीजों की सुरक्षा का ख्याल कैसे रखा जा रहा है?
मरीज के मानवाधिकार की रक्षा के लिए क्या एहतियात बरती जाती है?

भला क्या जवाब देंगे, ट्रायल में लिप्त अधीक्षक
आयोग ने एमवायएच अधीक्षक को नोटिस दिया है, लेकिन अधीक्षक डॉ. भार्गव खुद ही ट्रायल में लिप्त हैं। वे सरकारी नौकरी करके अपने ट्रायल सेंटर 'ज्ञान पुष्पÓ पर ट्रायल करते हैं। वर्तमान में उनके केंद्र पर करीब एक हजार मरीज रजिस्टर्ड हैं, जो ट्रायल से गुजर रहे हैं।

News in Patrika on 10th August 2010

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