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सोमवार, अगस्त 02, 2010

कौन सच्चा अमेरिका या भारत ?

अमेरिका की कंपनियों के इंदौर में 99 ट्रायल हुए, लेकिन भारत सरकार को 56 की ही जानकारी


बहुराष्टरीय कंपनियों द्वारा विकसित दवा और टीकों का इंसानों पर परीक्षण (ड्रग ट्रायल) मामले में भारत सरकार के आंकड़े कटघरे में हैं। ट्रायल का रजिस्ट्रेशन करने वाली भारत की सरकारी संस्था क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री इंडिया और अमेरिका के राष्टरीय स्वास्थ्य संस्थान के आंकड़ों में भारी अंतर है। भारत सरकार को जानकारी है कि इंदौर में अब तक 56 ट्रायल हुए हैं, जबकि अमेरिका सरकार कहती है इंदौर में 99 ट्रायल हुए हैं। इसके अलावा दूसरे देश भी हैं, जहां की विकसित दवाइयां इंदौर में परखी गई हैं।

अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ नाम का सरकारी विभाग है। इसकी वेबसाइट पर दर्ज है कि अमेरिका की कंपनियों से भारत में 1432 ट्रायल किए हैं। इनमें से 176 जयपुर में और 47 भोपाल में हुए हैं। इधर, भारत के सीटीआरआई की वेबसाइट बताती है जयपुर में 121 ट्रायल हुए हैं, जबकि भोपाल की कोई जानकारी ही उपलब्ध नहीं है। दोनों ही वेबसाइट 2 अगस्त तक अपडेटेड हैं। 

निगरानी तंत्र नहीं होने का नतीजा
इस नई जानकारी से यह बात साफ होती है कि ट्रायल रुपए हासिल करने के खातिर ही हो रही है, न कि शोध के लिए। कई कंपनियां भारत सरकार को बगैर जानकारी दिए ट्रायल करवा रही हैं। चूंकि ट्रायल की निगरानी का तंत्र ही देश में मौजूद नहीं है, इसलिए कई कंपनियां जमकर लोगों को शिकार बना रही हैं।



ईओडब्ल्यू की जांच इंदौर पहुंची
ड्रग ट्रायल में शामिल सात डॉक्टरों की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) द्वारा भोपाल में शुरू की गई जांच, सोमवार को इंदौर पहुंच गई। स्वास्थ्य समर्पण सेवा समिति की शिकायत की जांच के लिए ईओडब्ल्यू डीआईजी प्रियंका मिश्रा यहां आई और कुछ जरूरी दस्तावेजों को बटोरकर भोपाल रवाना हो गई। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनिल भराणी, प्रोफेसर डॉ. अपूर्व पुराणिक, एमवायएच अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव, पूर्व प्रोफेसर डॉ. अशोक वाजपेयी, नेत्र रोग एचओडी डॉ. पुष्पा वर्मा, शिशु रोग प्रोफेसर डॉ. हेमंत जैन और एमवायएच सहायक अधीक्षक डॉ. वीएस पाल ईओडब्ल्यू जांच के घेरे में हैं। इन पर सरकारी पद का दुरुपयोग करके अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।



३ अगस्त २०१० को पत्रिका में प्रकाशित खबर

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