पृष्ठ

शुक्रवार, दिसंबर 31, 2010

वीडियो बयान से ड्रग ट्रायल की घेराबंदी

- ईओडब्ल्यू ने 50 से अधिक डॉक्टरों और रोगियों से की गहन पूछताछ 

बहुराष्टरीय कंपनियों द्वारा विकसित दवा के मरीजों पर परीक्षण यानी ड्रग ट्रायल से जुड़े मामले की जांच कर रहे आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने वीडियो बयान लेने का काम शुरू कर दिया है। आरोपी छह डॉक्टरों के साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन और 50 से अधिक मरीजों से पूछताछ कर ली गई है।
पत्रिका में प्रकाशित खबरों के आधार पर स्वास्थ्य समर्पण सेवा समिति संगठन ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में ट्रायल करने वाले छह डॉक्टरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू भोपाल में शिकायत दर्ज की थी। इसकी पड़ताल भोपाल पदस्थ एआईजी प्रियंका मिश्रा कर रही हैं। वे इंदौर में लगातार दौरे कर वीडियोग्राफी कर रही हैं।

वीडियाग्राफी क्यों?
क्योंकि मामला बेहद पेचिदा और संवेदनशील है। साथ ही नामचीन और प्रभावशाली डॉक्टरों के नाम जुड़े हैं। आशंका यह भी है कि एक बार बयान देने के बाद लोग बदल जाएंगें।

तीन चरण में हुए बयान
पहला
शिकायतकर्ता डॉ. आनंद राजे और आरोपी डॉ. अपूर्व पुराणिक, डॉ. अनिल भराणी, डॉ. पुष्पा वर्मा, डॉ. हेमंत जैन, डॉ. सलिल भार्गव और डॉ. अशोक वाजपेयी।
दूसरा
एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. एमके सारस्वत एवं कॉलेज की एथिकल कमेटी के कुछ सदस्य।
तीसरा
वे मरीज जिन पर प्रयोग किए गए। यह पूछा गया कि क्या आपको ट्रायल की जानकारी दी गई है।

 
इंदौर में होगी सुझावों की छंटनी

ड्रग ट्रायल को लेकर शनिवार को हुई जनसुनवाई में आए सुझावों की छंटनी एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन करेंगें। कमेटी के अध्यक्ष और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आईएस दाणी ने यह फैसला किया है। वे सभी 168 सुझावों को यहीं छोड़कर भोपाल रवाना हुए। जाने से पहले दाणी ने पांचों मेडिकल कालेजों के डीन की बैठक भी ली। सभी से नियमों को खंगालने के लिए कहा गया है। सूत्रों का कहना है कि जनसुनवाई के दौरान कई सरकारी कर्मचारियों ने भी ड्रग ट्रायल को लेकर सुझाव रखे हैं। विश्लेषण किया जा रहा है कि ये सुझाव सरकार की मंशा के विपरीत तो नहीं। 


Patrika 1 Nov 2010

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें