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शुक्रवार, दिसंबर 31, 2010

क्यों छुपाई ड्रग ट्रायल की बातें?

- आरटीआई केस में मेडिकल कॉलेज डीन चेंबर में हुई सुनवाई
- अहम सवालों पर अंदाज के तीर चलाते रहे एमवायएच अधीक्षक


ड्रग ट्रायल का ब्यौरा जब आर्थोपेडिक्स विभाग दे सकता है तो शिशु रोग, मेडिसिन विभाग क्यों नहींï? डॉक्टर और स्पांसर कंपनी के बीच होने वाले क्लिनिकल ट्रायल एग्रीमेंट (सीटीए) को क्या भारत सरकार ने गोपनीय दस्तावेज माना है? विधानसभा को भेजी गई जानकारी और इंदौर में दी गई जानकारी में अंतर क्यों है?
 मंगलवार को ये सवाल एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. एमके सारस्वत के चेंबर में गूंजे। मौका सूचना का अधिकार में स्वास्थ्य समर्पण सेवा समिति के डॉ. आनंद राय को जानकारी नहीं देने की अपील की सुनवाई का था। जवाब एमवायएच अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव को देना थे। तथ्यात्मक बात रखने के बजाए अनुमान के आधार पर तर्क रखते हुए उन्होंने उत्तर दिए जो नामंजूर हो गए। शिशु, नेत्र और मेडिसिन विभाग ने वह जानकारी क्यों नहीं दी जो विधानसभा में भेजी गई, के जवाब में डॉ. भार्गव संतुष्टï नहीं कर पाए। अपीलकर्ता ने तत्काल नि:शुल्क जानकारी देने और दोषियों पर अर्थ दंड करने की मांग की। कॉलेज डीन ने फिलहाल फैसला नहीं दिया है।

'कालिख पोतने की आदत'
अपीलकर्ता ने डीन को बताया एमवायएच प्रबंधन और कुछ विभागाध्यक्षों को काले कारनामों पर कालिख पोतने की आदत है। मेडिसिन विभाग ने ट्रायल से जुड़ी एक सूचना में सीटीए के उस अंश पर कालिख पोत दी थी जिसमें कंपनी से आने वाली राशि की जानकारी थी।

Patrika 26 Oct 2010

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