बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विकसित दवाओं के मरीजों पर प्रयोग यानी ड्रग ट्रायल में लिप्त डॉक्टरों ने एमवाय अस्पताल के मरीजों का गुपचुप तरीके से इस्तेमाल करने के लिए एक नए पते का इस्तेमाल किया। यह पता अस्पताल में ही काम करने वाली एक डॉक्टर का है। कई डॉक्टरों ने इस पते के जरिए दवा कंपनियों से काम हथियाया।
पता है 61, जूनी कसेरा बाखल। राजबाड़ा से सटे क्षेत्र में मौजूद इस पते पर डॉ. पुष्पा वर्मा रहती हैं। पत्रिका के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि ड्रग ट्रायल के तीन मामलों में इस पते का इस्तेमाल किया गया है।
तीन तरह से इस्तेमाल
पहला
दिल की बीमारी एट्रियल फिब्रलेशन के लिए दवा कंपनी डायची संक्यो ने जुलाई 2009 में एमवायएच के डॉ. अनिल भराणी के साथ करार किया। केंद्र सरकार का रिकॉर्ड बताता है कि डॉ. भराणी ने इस ट्रायल का पता जूनी कसेरा बाखल बताया।
दूसरा
एमवायएच के सात डॉक्टरों ने एक पृथक एथिकल कमेटी का गठन किया। इसका नाम रखा इंडीपेंडेंट एथिक्स कमेटी फॉर कंसल्टेंट्स ऑफ एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड एमवायएच। इसका पता भी यही घर है।
तीसरा
विदेशी बीमा कंपनी एकॉर्ड ने तीन वर्ष पहले एमवायएच के प्रोफेसर डॉ. अशोक वाजपेयी के नाम से लाइबिलिटी इंश्योरेंस का एक करार किया। इसमें भी डॉ. वाजपेयी का पता डॉ. पुष्पा वर्मा का घर ही दिया गया।
00000000000
मेरा घर है, इसके अलावा कुछ नहीं बता सकती
जो पता आप बता रहे हैं, वह मेरा घर है। उसका इस्तेमाल किसने कहां किया, इसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है।
- डॉ. पुष्पा वर्मा, विभागाध्यक्ष, नेत्र रोग, एमवायएच
अहमदाबाद में हो चुका करार
डॉ. पुष्पा वर्मा ने बैक्टेरियल कंजक्टेवाइटिस के लिए टेक्सास की एल्कोन रिसर्च कंपनी द्वारा विकसित दवा के मरीजों पर ट्रायल के लिए स्पांसर कंपनी क्विवंट्ल्स रिसर्च इंडिया प्रायवेट लिमिटेड से 25 अप्रैल 2006 को करार किया था। सूचना का अधिकार में प्राप्त दस्तावेज से पता चला कि उन्होंने इस ट्रायल के लिए अहमदाबाद जाकर करार किया। कंपनी की ओर से तुशार तोपर्णी ने हस्ताक्षर किए। करार का नाम क्लिनिकल ट्रायल एग्रीमेंट है। इसमें ट्रायल के लिए आने वाली राशि का जिक्र रहता है।
Patrika 03-01-2011